सोमवार, 19 जनवरी 2009

खुद से खुद का रिश्ता



ऐसा लगता है


अब ख़ुद से भी


दूर का ...


बहुत दूर का


एक चलताऊ -सा


उबाऊ रिश्ता है।


जानी-पहचानी


ये शक्ल


मेरी ही है


मगर ,


यह मैं नहीं


कोई और ही


लगता है

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