नए साल के बहाने
कुछ वादें करता हूँ
कुछ वादें करता हूँ
खुद से.
खुली आँखों से देखूंगा
दिल खोलकर सपने
और पीछा करूँगा
दीवाने की तरह.
दुनिया के लिए और उपयोगी
और अपनों के लिए और सहयोगी
बनने की कोशिश करूँगा.
शातिर दिमाग पर रखूँगा सतर्क निगाह
अगर चलेगा कोई खतरनाक चाल
दिल के नाजुक रिश्तों के खिलाफ
तो उतारूंगा उसके कपड़े.
उधेडूगा उसकी खाल.
मंजिलें हासिल करने की होड़ में
जिंदगी की जंग में अंत तक
कभी अपराधी नहीं
पूरी तरह आदमी ही बना रहूँगा.
bahut khoob...jaise sach ki tasweer kholkar rakh di hai..........
जवाब देंहटाएंbadhiya h sr....
जवाब देंहटाएंrangnath