कभी चटख रंगों की धूप में
प्यार उदास नज़र आया
तो कभी बोलती आंखों में
नज़र आया खामोश ।
और कई बार
उम्मीद से चहकता हुआ
पर, निराश नज़र आया ।
कभी फीके रंगों की धुंध में भी
प्यार खिला-खिला नज़र आया
तो कभी महकती सांसों में
नज़र आया मदहोश ।
और कई बार
नाउम्मीदी में बुझता हुआ
पर, उजास नज़र आया ।
अनगिनत रंगो का एकत्र सम्मिलन ही तो प्यार है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
प्यार के अलग-अलग रंगों को खुबसूरत अभिव्यक्ति दी है आपने. सही है, प्यार पहले नफरत की जगह ले फ़िर यह ख़ुद ही इश्वर की जगह ले लेगा.
जवाब देंहटाएंप्यार के रंगों को बड़ी खूबसूरती से बयाँ किया है. सच में बहुत अच्छा लगा पढ़कर.
जवाब देंहटाएंKeep it up!!!