तुम्हे भला लगे या बुरा
मैं कभी मौसम,
तो कभी फैशन की तरह
बदल जाया करूँगा।
जब कभी
ठंड से ठिठुरने लगोगे तुम
और कंपकंपाने लगेंगे तुम्हारे हसीं होंठ
मैं गर्म- सुकूनदेह दिन बन जाया करूँगा।
जब कभी
झुलसाती हुई गर्मी से,
पड़ेगा तुम्हे गुजरना
और पसीने से तर-बतर होगा,
तुम्हारा बेशकीमती बदन
मैं कम तापमान वाले नर्म दिन में
तब्दील हो जाया करूँगा।
और जब-जब
पुराने फैशन से उबने लगोगे तुम
तब-तब
फैशन के नये-नये रूप धर
आया करूँगा मैं,
हर साल
हर माह
हर सप्ताह
हर दिन।
Acche bhav, kintu Faishion ke alava aur bhi koi maadhyam talashte !
जवाब देंहटाएंaapki kavita me ye khoobsoorat badlaav mujhe pasand aaya....
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